कोयल जे कर लेती

कागला सूं घरवास

तौ पक्कायत कागलौ

कदैई रीझ’र तौ

उळझाय देतौ उणनै

खुद रै ओळैदोळै

अर भूलाय देतौ उणनै

उणरौ कंठ।

स्रोत
  • पोथी : आळोच ,
  • सिरजक : डॉ. धनंजया अमरावत ,
  • प्रकाशक : रॉयल पब्लिकेशन, रातानाडा, जोधपुर (राज.) ,
  • संस्करण : प्रथम
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