है कूवो

गियो नीं कदैई

तिरसायां कनै

आया तिरसाया

तिरस बुझावण नैं अठै

पण केई दिनां सूं

है साव सूनो

मिनख तो मिनख

हेरी’ज जावै

सांसर

आवतां इन्नै

क्यूंकै अबै

होयग्यो बिरावणो।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : देवकरण जोशी 'दीपक' ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
जुड़्योड़ा विसै