आपां दोन्यूं निरखां
रात रै बगत
आभै नैं
थे मखमली सेज सूं
अ'र मैं बीं खाट सूं
जिकै रा चिरीज्योड़ा पागा
बांध राख्या है म्हे लीरां सूं
थां'री आंख्या निरखै
चांद मांय
चरखो कातती
बूढळी।
म्हारै पेट मांय लाग्योड़ी
लाय निरखावै
म्हारै दीदा नैं
उण इज चांद मांय
रोटी पकावंती एक मां।
फकत इतरो ई
फरक हुवै
भूख अर तिरपति मांय।