भोळा मानवी जमाना नै

आपड़े सरखो हमझी बेहे पण

लूटी ले जमानो भोळवी ने अेनें

खुस थाए लूटीनै

कमाई जाअे बे रुपिया

वगर मैनत ना

घाली दे हाथ

बीजा ना खलिया मअें

काढ़ीनै रुपिया बै

खुस थई जाअे पण

भोळा नूँ करम काणूं न्हें करी सकै

भोळा नूँ हैय्यू समंदर व्है

लाख पाणी काढ़ी नाखै पण

न्हें हुकावी सके अेने

कपटी कपट करे

अेना सभाव परमाणे पण

कैवत कीदी है...हाँसी

तोमडू तरेगा

पाणों डूबेगा

हरामी हारेगा

तरता जुग नो वारौ है

करम सबनूं साथे चालै

राम नूं नाम लई

सत ना मारग माथै चालता रो

कोई पण ताकत वताड़ी विताडे

भोळानै पण

राम न्हें थाकवा दे

राम न्हें हारवा दे

कैंम के

भोळं नो भगवान है

जै भोळंनै रोवाडै

राम अेने रोवाडे।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : राम पंचाल भारतीय ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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