चोयो म्हारो पसीनो
थारै देवतावां रा मिंदर
कर देवल बणावण सारू
जेठ रै तपतै तावड़ै मांय
म्है जमायी दुरमटां सूं
नींव थारै ठाकुर जी रै
मिंदर री
जद म्है नीं खोली म्हारी
फिडी जूती
बळत सूं बचण रै मिस
थे आयनै
एक ई दिन नीं बरज्यो म्हानैं
स्यात जद थारो देवता
नीं भींटीजै हो
म्है कर्यो रंग
रास रै लटक'र
आपरी ज्यान टांग'र सूळी
चाली जद बात
मिंदर पर धजा लगावण री
थे सगळा होयनै सेनमसेन
चढ़ा दियो मिंदर री
सिखर टोखी माथै
बुधियै चमार नैं।
थारो देवता जद भी
नीं भींटीज्यो
पण जद मिंदर बणनै
होयग्यो पूरो त्यार
आ बेठ्या थे
प्राण परतिस्ठा करण नैं
मिंदर रै गरभघर मांय
थारै गंगाजळ रै
छींटै सूं होयग्यो
संजीवण थारो देवता
अर करण लागग्यो
म्हारे सूं भींट।