आपदा

अणहूंणी

अर कंप-इळकंप रौ

सगळां सूं पैली ठा पड़ै

पसु-पंखेरूवां नै

भावी रौ भणकारौ लागतां

मूक सूं मुखर होय जावै वै

देवै आपरी अबूझ पड़क्रियावां

आपरै-आपरै तौर-तरीकै सूं

वांरै इण कोडवर्ड नै समझै

फगत कवि अर सायर

पण ठा नीं क्यूं

कर लेवै वै मून धारण?

अर अै किण देस रा राजा है

जका आभै में उडती चील दिखाय’र

करै आपरी प्रजा रौ खतनौ

डर बतावै उण हाऊड़ै रौ

जिकौ डरै खुद अपणै आपसूं

कांई थांरै पढियोड़ी है

विजयदान देथा री कथा-

‘पुटियौ राजा’?

अर अै कुण है भविस-बकत

जका करै चलता भविसवांणी

धारोधार बिरखा होवण री

अर पछै

पांणी बतावै जठै

नीं लाधै कादौ कठैई!

गड़ा पड़ण री देवै चेतावणी

पड़ै बठै अगन रा गोळा

रोटी-पांणी अर रुजगार सूं

बेसी जरूरी बतावै अै

पुटियै राजा सूं करणौ प्रेम

अर तद लाग जावै

भोळाढाळा मिनखां नै

अणहूंणी रौ अंदाजौ

अर भावी रौ भणकारौ।

स्रोत
  • सिरजक : शंकरसिंह राजपुरोहित ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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