सबद

नैणां में खुबण लाग जावै,

लगमातरा

आंतड़ियां में अळूझ जावैं,

वो दिन में,

कैई बार,

भासा नै भूख व्हैतां देखे

अर भूख ने भासा,

तनखा बधै... बधै... नीं बधै

कांई कम बात

कै हर साल

काळू राम कम्पोजीटर रा

चसमै रा लम्बर बधै !

स्रोत
  • सिरजक : कृष्ण कल्पित ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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