अेक दिन

म्हानै अेक भडूकणो लाध्यो

फूंक भरी फूलग्यो

फूलेड़ो फूटरो लाग्यो

खेल्यो आखो दिन टाली हेठां

रोजगो खेलण लागग्यो

खेलतो बीती टेम खेलतो

फेर फिसा'र जेब में घाल'र सो ज्यांवतो

अेक दिन म्हैं

खेलतो खेलतो बाड़ कनै उठग्यो

भींटकै रै सारै लागतां ही

भडूकणो रबड़ बणग्यो

चिरीजेड़ो रबड़

बस

ही हुवै आज री प्रीत

अर पराया मीत

कूड़ी छियां-छियां ही पार घालै

साच रो तावड़ो लागतां ही

बोलज्यै

भडड्न।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै