लुमझुम बैल रै लोइया

सगळां सूं मोटै लोइयै नै

मतीरियो जाण'र

मन में सोची

ठरका बजा'र

काचै पाकै रो नितार

आखी दुनियां करै

पण पछै करमां-भागांळी बात

कठै रैसी?

ईंया सोच'र

ठोल्लो दे काढयो

पण बा बात

मुरख रो भाग

स्याणां कठै छोडै

खैर, कोई बात नीं

सीख तो मिली

कै

भाग रो सीर काचै में नीं

पाकै मांय होया करै।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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