बेटी रो जलम
जाणै ऊगै सोनै सो सूरज
अंधियारा मांय
उजास करण सारूं
पण औ सूरज ऊगतां ईं
क्यूं छा जा
बादल च्यारूंमेर
संका रा, चिंता रा
दुख अर पीड़ रा
जिणां सूं
किरणां धुंधळा जावै
अर वौ सूरज नीं दे सकै
आपरो पूरी परकास
म्हारो सपनो है कै
हर अेक घर मांय
ऊगै सोनै रो सूरज
बेटी रै रूप मांय
अर उणरै उजास मांय
निखर जावै स्रिस्टी से सरूप।