डब डब आंखय्यां भर आवै।
जद ओळ्यूं थारी आवै॥
परदेसां पर बस होय।
मावड़ थारी बैठी रोय॥
म्हारै काळजियै री कोर।
मालिक पर नीं चालै जोर॥
तनैं पाळी घणै लाडै कोड।
बेटी चाली पिवरियो छोड़॥
माँ री ममता हीलोळा लेवै।
बाई रो सन्देसो कुण देवै॥
थारी ओळ्यूं घणी आवै।
थारी सहेल्यां तनैं चावै॥
बेटी म्हारी सायर घणी।
गुण ग्यान सूं सराइजै घणी॥
सासू तो माटी री बुरी।
नणदां घणी है छप्पन छुरी।
आज सुणै जद तूं गाळी।
घणै कोड सूं तनैं पाळी॥
घर-घराणों नां लज्जाई।
परदेसां बसै लाडेसर बाई॥
देज-लेज री बीमारी सूं।
रिस्तां में पिसीजै तूं म्हारी॥
धन रा भूखा अ भेड़िया।
उंधा-सुंधा मारै अ गेडिया॥
बेटी री मायड़ आंख्यां भरै।
छाती पर जाणैं पत्थर धरै॥
घणों निमाणों बेटी रो धन।
मानैं नीं मां-बाप रो मन॥