समझ नीं सकै छियां

तासीर तावड़ै री

अर

नीं बांच सकै तावड़ौ

मनगत छियां री..!

हरमेस खेलता

अेक बीजै सूं

खेल खो-खो रो।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुनियोड़ी ,
  • सिरजक : कमल रंगा
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