जाग
अभिमन्यु बीरा
जाग,
अंधायगी है आंख्यां
थारी उडीक में
निमळायगी है सांसां
सगळा सूरां री
धीमा
पड़गा है ऊंचा बोल
आगोबांण रा!
आव
आज रा अभिमन्यु
बेगो आव, पग पग पे
पसर्यो है
कुरुक्षेत्र
जीवण
अर जुगत रे
पखां बीच!
देख
वो सामोसांम
देख
दुस्मीं री
फौज से पारावार
थूं -अेकलो,
देख
व्हेग्या है अकमेक
स्वारथ
कौरव-पाण्डव री
सगळी
न्यात रा
डाकी अर रुखाळा
एक जात रा।
देख
वा
गलियां पोळां
देख
उमड़ी आवै है।
धुआँधोर
धाड़वियां
चोरां री
टटकी टोळ
माची है
निसरमां
सगपण री रापट रोळ
फेरै
पग पग पे
धजा इन्याव री।
रौक
थूं सावाचेती
रौक
सिर पर उबांकयो
अरजण वार
तोड़
थूं
हिम्मत पांण तोड़
पैलड़ो दरवाजो
चक्रव्यूह रो
ऊभो है
जिण पर
भीम (कु) बळी
जैद्रथ रै गळै में
बावां घाल!
भींच
जीभड़ली
दातां बीच
दुशासन
फेरै है माथै हाथ
सौगन
खावै है द्रोपत-सोल री!
मींच
इंचरज री आंख्यां
मींच
धीरज सूं
अवकल सींच
कै हाथां में
तलवार लियाँ आवै है
मर्योड़ी गांधारी
ममता बावळी॥