काळजा में चालती, दुधार देखल्यो।
तिल देख्यां सागै, तिल री धार देखल्यो॥
तनां-मनां कै आडी, लोगां भींत खींचली,
पाड़ौसी हेलो पाड्यो, तो आंख मींचली,
कुण है कुण सूं कमती आर-पार देखल्यो॥
भर जिनगानी काळी-पीळी धूणी में घुटी,
लाय सूंजे बचगीं, चौड़े आबरू लुटी,
द्रोपदी रो चीर, तार-तार देखल्यो॥
कोयली कूकावै, चील कागला तिरै,
जण-जण जैर भरेड़ो, मौत साथ में फिरै,
आंख्यां तकती कांवळां री डार देखल्यो॥
जात-पांत, धर्म भेद, मद भाषा को बढ्यो,
हाथां ले हथियार भाई, भाई पर चढ्यो,
सोळा आनां सांच नित अखबार देखल्यो॥