कागला री पिछाण,पूछ
फगत सराधां में ईज नीं हुवै
हरेक जीमण-जूठण में
कागला री कांव-कांव सुणीजै
कोई कित्तो ईज
उडावणै भगावणै री चेस्टा करै
कागला घिर-घिर आवै
जीमण माथै मंडरावै
हाथ नीं आवै तो खिंडावै
कणैई पतिया लेवौ-
कागला, कागला हुवै
म्हां कागलां हां
हेला देय देय नै अखरावै।