थांरी आंख्यां सूं थूं देख जमानौ बदळ ग्यौ
भाई बंधु रैवै नीं अेक जमानौ बदळ ग्यौ
गांधी थांरी लाठी बदळी, बंदर पोथी पाटी बदळी
नगरी गांव गुवाड़ी बदळी, पुरखां री परिपाटी बदळी
बदळी घर मुरजाद री रेख जमानौ बदळ ग्यौ
थांरी आंख्यां...
अपणायत तो खोवण लाग्या, झगड़ा घर घर होवण लाग्या
बाड़ खेत नै खावण लाग्या, भौम म्हारी उझड़ण लाग्या
इनमें कोयनी मीन न मेख जमानौ बदळ ग्यौ
थांरी आंख्यां...
सवारथ सूं पाळा बदळिया, सगळा ढंग ढाळा बदळिया
आज घर रा आळा बदळिया, सासरै मांय साळा बदळिया
हिवड़ै हेत में पड़गी रेत जमानौ बदळ ग्यौ
थांरी आंख्यां...
दिखै नीं व्है हंस आगला, मोती चुगण लागा कागला
भरम नित भरमावै दोगला, पग है पण व्हिया पांगला
कैड़ा लिखिया विधाता लेख जमानौ बदळ ग्यौ
थांरी आंख्यां...
मौखौ मिळियौ क्यूं गमावै, आफत सूं थूं क्यूं घबरावै
सोचत सोचत बीत्यौ जावै, बखत ग्यौ पाछौ नीं आवै
करलै काम हाथां सूं नेक जमानौ बदळ ग्यौ
थांरी आंख्यां...