जीत्यो कुण-कुण हारयो?
अेक जिको कै स्सो कीं गमायनै
वगतो जावै मुळकतो
बीजो वो कर नै स्सो कीं हासल
टळकावै आंसू
संच्यो जिकै भर जिंदगी
ग्यान अर विग्यान
होय रैयो वो ई
दिवलै रै तळै ज्यूं
जोत-विहूण
सोधै च्यानणो,भटकै बिचारो
घेर्या जीत रा घुड़ला
गाया गीत गीरबै रा
पण कठै होयो विजै
भतूळै में भटक्यो
बीच-बीचाळै अटक्यो
तप्यो,घण सीज्यो
पण, कांईं जीत्यो?
जीतै वै ई
जिका आपै रा ओढ़ै मुगट
रैवै हरमेस आगै
करण नै खुद नै अपरण।