भारतीय जन-मानस नै
दु:ख दाल स्यूं
बा’र निकलनै री
कोसिस करतां
देखणो होवै तो
देखै कोई
दीवाळी रै दिन
पटाकां मीठाइयां री
दुकानां रो तो
कैणो ही के
सब्जी आळी दुकानां तक
देखी जै
भीड़।