अब बा बात कठै, पैली वाळी बात कठै
मिनख मांहि मिनख कठै, तारा री बा बात कठै
चूल्है माथै साग सीजतो, हांडी री धणीयाप घणी ही
भाई भतीजा सागै जीमता,थाळी बानै अेक घणी ही
बरतन बासण घणा बापरग्या, अेकै वाळी बात कठै...
गळी गवाड़ा चौक चौबारा, खुली हवा मांय खेल खेलता
गिल्ली डंडा सतोळियो अर लुक मिंचणी रो थब्बो देंवता
टी. वी. मोबाइल घणा बापरगया, बालपणै री बात कठै..
बालपणै सूं मैणत करता, चा रै सागै रोटी खावंता
रुत जिसो ई भोजन मिलतो, मटकी रो पाणी पींवता
ऐ.सी. फ्रिज घणा ई होयग्या, जीमण रो बो स्वाद कठै...
अेक थान मांय सबरा कपड़ा, बुरसत घघरी अेक सरिखा
पैर पैर म्हें घणा इठलाता, टाबर सगळा अेक सरिखा
ब्रांड बापरगया भांत भांत रा,आणद वाळी बात कठै..
काण कायदो लुकग्यो छिपग्यो लाज सरम खूंटी टंगगी
अपणायत री छांव छिपगी, रिस्ता री मिठास ई गमगी
पद पईसा तो घणा कमाया, पण परेम री बात कठै..