बिचारां रो एक भतूळियो
चारूं मेर चक्कर लगाय’र
पूछण हाळै चिन्हां ने बिखेर बईर व्है
माटी रै सागै रगदोळियोड़ो लोही
टाबर-टींगर, मोट्यार री भेद नीं बतावे
एक सरसो लोही
काची कनार ज्यूं जवानी में हबोळा खाती
कामण रो है
का मसाणां नै अडीकतां बूढ़ा ढेरां रो है
का हांचळ चूंगता
रूपाली देह हवाळै लाडेंसरां रो है
जकां री काची मौत रे मूंढै में
दूध रा दांत हाल तांई चिळक
बाळपन, जवानी, बुढ़ापो
सगला लोही री जात में रळमळ ग्या
गळी रे नुकड़—नुकड़ माथै कुता भूंक रह्या है
भूंकण रो कांई, हंस रह्या है
आज कत्तां रो हिड़दो चालणी बणायो
कत्ता फूलां नै मसोसिया
मौत रै खातै में कत्ता नाम जमा करिया
लासां रा बोपारी लासां री घणी फसल देख’र
उछब मना रह्या है
दरद आस्थावां अर अमूजियोड़ा सपनां री
पड़त मिला रह्या है।
काल तक ओ एक गांव हो
इण रा पिणघट, पिणहार्यां
मुळकती काया, उमड़तो नेह
इण रा मेळा, मगरिया
नांनां मदरसा
फूलां ज्यूं कंवळा टाबर
जवानी रा झबळक,
ढोला-मारू रा गीत
मिंदरां रो चढ़ापो
मसीदां री निमाज
इण रा ईद, रोजा, मोरम
पण आज—
आज ओ एक अणबळियो मसाण है
अण खुदी कवरां रो बसेरो
गीध, कागलां रो डेरो
बांरै भाई पै रौ भेळाव
चेचक चाट्योड़ी सड़कां सूनी है
मौत रो राती बासो लांबो होय रह्यो है
सूंसाड़ करती एक हवा मसकर्यां करै
कठै बै झूलणा? कठै बै गोरड़यां
कठै बै टाबरां री टोळी री मनवार्यां
डूंगर माथलै मिंदरां री गूंगी घंटयां
मांय री मांय रळी रा गुटका पीवै
जिन्दगी रा दुखता पग थमग्या है
हाथां में बांइटा चालण लाग रह्या है
मिनख पणै रा कांधा लुळण लाग रह्या है
नीमड़ा री ठंडी छिंया
ठंडी लासां माथै छतर करै
गिंध सूं बासती भभकती हवा
आज अमूंजती फिरै
पण अडीक गैरी है
इणगी बिणगी वाजतो बायरो
मिनख पणै रो संदेस गांव गांव पौंचाप रह्यो है
लोही रंगियोड़ो धरती माथै
नुंवा बीज पड़ रह्या हैं
छेकड़ तो मौत रो मजमो खिंडसो
आखरां री जलम घूंट पी’र जिन्दगी
पगां चालसी’ज
अंधारै रो अंतकाळ
छेकड़ तो आसो’ज
आपां मिनख मार मिनख तो नीं हां?
तो पछै आ गैलाई क्यूं करां?
आपरै मांयल राखस रा नख क्यूं बधावां?
क्यूं बींरा दांत लोही सूं रंगां
मारणो व्है तो बीं नै डी’ज क्यूं नी मारां?
आओ मिनखा चारै रा नुंवा चितराम बणावां
नुंवा सूरज घड़ां
जद तांई मिनख मिनख रै बिचै
फैलियोड़ै अंधारै ने
सुरग बिसाई नीं लागै
आपां आपां रा सूरज घड़ता रां
चितराम बणावतां रां
आखरां री चढ्यां
रंग रंगीलै गांभा माथै जड़तां रां।