नित मरै अठै

जलमे कोनी रे,

बीज बांझड़ो रेवैलो

पीड़ अणूती देवैलो॥

इण भीड़ भरी धरती माथै

माथै स्यूं माथा भिड़्योड़ा

छोटोड़ा मोटोड़ा

सगळा रा सगळा अड़्योड़ा

लागे ज्यूं माही मेळै में

नागौरी बैल भिड़क्योड़ा॥

कुण जाणै किन्नै आवै है

जद दैखो आवै-जावै है

दे सींग धरा पर दे मारै

जै पोचोड़ो कन्नै आवै॥

घणा घूमता दीसे पण

तोल्यां स्यूं हळका पड़ जासी

बातां पर बातां मारणियां

बोल्यां स्यूं पतळा पड़ जासी

मिनख रूप ने लाजणिया

आपै स्यूं आगे भाजणिया

बम-बारूद बणावणिया

चंद्रलोक में जावणिया

कद पशुपणै स्यूं लाजैला

कद मिनख रूप में साजैला!

स्रोत
  • पोथी : जूझती जूण ,
  • सिरजक : मोहम्मद सदीक ,
  • प्रकाशक : सलमा प्रकाशन (बीकानेर) ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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