जद बीज जमीं में गाडीज्यो, अंतस अकुलायो दुख पायो
बचबा रा गेला बंद देख, रोयो घबरायो पछतायो
तद माटी उण सूं यूं बोली, रे बीज मती ना घबरावै
जो जुड़े जमीं सूं जड़ उणरी, कोई पण काट नहीं पावै
साहस कर सीस उठा बेटा, औ सगळा द्वार उघड़ जासी
धरती कांई बात करै, यूं आसमान रै अड़ जासी
गाडै उणनैं मत गाळ्यां दे, बो घणै हेत सूं बा'वै है
थारै मिस खुद रै जीवण रा, वो सपना रेत उगावै हैं
वो अेक नहीं उणरै घर री, हर आँख उडीकै ताकै है
रे चिड़ी कमेडी काग बटाऊ, सैंग बीज नैं झांकै है
जिण पल धारैलो जीवटता, जीवण री जोत जगा लेसी
जण जण री पलकां बैठलो, आ दुनियां कंठ लगा लेसी
जो जो भी माटी सूं जुड़िया, जग वानैं हियै लगाया है
पुरसारथ कीनो पर हित में, तो जगती ढोल घुराया है
दूजां हित ही त्यागणियां मर कर भी अमर हुवै जग में
रे बीज! बाजसी बलिदानी, थं महामरण रै इण मग में
हिवड़ै री हूंस तणो हेलो, जिण पल ही साचो सुण पासी
थूं मुगत हुवैलो माया सूं, माथै रो बोझ उतर जासी पासी
म्हैं देख्यो सगळी दुनियां में, सुण भाग भलेरो है थारो
थूं बीज - बाजरो बाजे है, करसां री आँख्यां रो तारो
कितराक दाणां री किस्मत में, ओ सुजस लिखे है आ जगती
अरबां में मिलसी इक-आधो, हैं जिणरै भागां आ भगती
जो बीज मोद सूं मिल माटी, करसै रो करज चुकावैला
वट-वृक्ष बणैलो वो व्हालो, कीरत रा कोट चिणावैला