घड़ा भरै

मन रीतै

छैल छींट छोरां रो

मन चींतै

आंवतो सावण

अर

उतरतो फागण

अबकाळै देखांणी

कियां सी बीतै!

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : शारदा कृष्ण ,
  • संपादक : डॉ. भगवतीलाल व्यास ,
  • प्रकाशक : राजस्थान साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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