जीवण

जियां

भोबर रै मांय

बळतो बाटियो।

भोबर री आंच

इणनैं सेकै अर

सिकियां पछै इज

खावण रै मांय

लागै सुवाद बाटियो।

इण तरियां

दुनियां री भोबर मांय

काल सांच री आंच माथै

तपियां पछै

बाटियां रै जियां

जीवण निखरै अर

इण निखस्यै जीवण नैं

पछै सगळी दुनियां निरखै।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : घनश्याम नाथ कच्छावा ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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