बरफ में कब्रिस्तान जैड़ी चीज दुनियां में दूजी कोनी

धौळास पर मेल्योड़ै धौळास सारू कांई नांव है?

अकास कब्रां फाथै बरफ रा जीव बिहूणां भाटा फेंक्या

अर अब बरफ माथै बरफ छूट कीं नीं रह्यौ लारै

हाथ माथै सदा सारू मेल्योड़ै हाथ जीयां

पंखेरू अकास छेकणौ चावै

हवा रा अदीठ गळियारा जखमण सारू

कै बरफ़ रै ओकांत में घांदौ नीं रैवै

वौ समूदौ व्हे सकै

बरफ जीयांई जी सकै

क्यूं कै कैवणौ पुरसल कोनी

कै बरफ़ रौ कब्रिस्तान सपन बिहूंणी नींद ज्यूं

खुली ख़ाली आंख्यां ज्यू व्हिया करै—

जद कै आमें कोई अचेतण अर नींदीज्योड़ौ डील व्है

ब्रेक सून्याड़ माथै दूजै सून्याड़ रै पड़ण सौ

बिसरण मांयलै कोरापै रै हाथ अपड़ण नै खपण सो

सौ पण बरफ़ रै कब्रिस्तान जैड़ी दूजी कोई चीज़ कोनी—

बरफ वीयां तौ सगळी चीजां माथै बेअवाज व्हिया करै

पण रगत-बिहूंण समाधी माथै, वां होठां माथै

जिका कै अब कदेई नीं बोलैला उण री सून्याड़ और बध जावै।

स्रोत
  • पोथी : परंपरा ,
  • सिरजक : ज़ेवियर विलाउरुतिया ,
  • संपादक : नारायण सिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थांनी सोध संस्थान चौपासणी
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