जाज रै उडण सूं की पैली

अैयरबस म्हांनै बम्बोई दिखावण नै लेयगी

सूरज हाल निसर्‌यौ हौ

म्हैं देख्यौ के

बम्बोई रा 150000 (?)

फुटपाथ्यां में सूं

अेक आदमी आळम भांग'र नींद सूं जाग्यौ

अर तकियै रै तळै सूं धोयोड़ी कमीज

काढ'र पैरण लाग्यौ

स्यात बगत व्वेगौ हौ दफ़्तर पूगण रौ

अर अेक आखरभाखी कीड़ै ज्यूं

फायलां में गमण रौ

पण सगळी रात वौ

किण बेफिकरी सूं सोयड़ौ रह्यौ व्हैला।

वौ ख़ुद भी अेक ज़रूरी

फायल हौ

स्यात!

स्रोत
  • पोथी : परंपरा ,
  • सिरजक : आक्सेल लिंडेन ,
  • संपादक : नारायण सिंह भाटी ,
  • प्रकाशक : राजस्थांनी सोध संस्थान चौपासणी
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