अेक भींत ही
खाली भींत
उठै
कांई भी लिख देता।
किसी कम्पनी रो इश्तिहार,
वोटां रो परचार,
किसी सिरफिरा तानाशाह रा
बरगलाता नारा री पोल
या किसी महान मानख्या रो
अमन चैन रो संदेश।
अेक भींत ही
खाली भींत।
ऊं सहारे
कांई भी बणा लेता
अस्पताल, पाठशाला या धर्मशाला।
या फेर
किणी गरीब रो घर।
अेक बम फट्यो
अर भींत ढह गिरी
अेक खण्डहर
इतिहास रो घाव।
फेर अेक धमाको
बदला री आवाज
‘म्है माँटी नहीं
बदळौ लेयसूं’।