1 नीलै आभै पर धोळा लोर

नीलै अकास रै
मानसरोवर में
तिर दिया है
हळवां-हळवां
पांखां पसार्‌यौड़ा
हंस।


2) बरसती बादळी

बादळी
खिल-खिल
हँसै
उणरै मूंढ़ै सूं
मोतीड़ा झरै।


3) काळे बादळ रो चूँखो

चाख
लागण रै
डर सूं
लगा दीनी
काजळ री टीकी
आभै रै लिलाड़ी।


4) आभै बिखर्या रंग


आभो है —क
चितरकार रो
स्टूडियो।
जगां-जगां
बिखरियोड़ा है
तरळ रंग।


5) बादळ लारै सूरज

ओ कुण
कुचमादी
लुक’र
नांखै
पळ-पळ
पळका
काच रा।

6) गरजण

छोड
धरती
जा सूत्यो
कुंभकरण
अकास-अर
घुरावै नींद
घरड़ ड़ड़ड़
घरड़ ऽऽऽऽ
घरड़ ऽऽघ।


7) बादळां बीच चमकतो सूरज

इण
नीलम आंगणै
पड़्यो
सोनल थाळ
करै
चमचम।


8) घुटता बादळ

इण धरती री
धूणी।
कुण मारी
पून री भूंगळी सूं
फूंक-क
चौफैर
उठरिया
धुएं रा बादळ।


9) जमियोड़ा बादळ

आभै रै आंगणै
कुण धोया
सावणी-साबण सूं
गाभा-क

झाग-ई-झाग
जमग्या
बैवायां नीं बैवै।


10) धोळा उठता बादळ

उण दिस
ऊगग्या
धोळा-धोळा
बरफ रा
पाता।

11) बादळ-तारा

भाजता बादळां
मांय दिखै
तेज चालता —तारा
जाणै
सरोवर में
तिरता दिया।


12) लैरिया बादळ

बादळ
बणाय दै
आभै नै —
लैरियो
समन्दर।

13) तरै-तरै रा बादळ

अकास-अटारी
आ बैठ्या
बादळी-कबूतर
कमेड़यां —
हळवां-हळवां
हिलावै
पांखां।

14) काळी कळायणा

पून
उड़ाय र लेयगी
धरती सूं
सीली लालरां
आभै माथै।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत ,
  • सिरजक : लक्ष्मीनारायण रंगा ,
  • संपादक : भगवतीलाल व्यास
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