आस लगायां आपरी, बैठो जोवूं बाठ।
बरसा जा थूं बादळी, ठावो मुरधर ठाठ॥
काळी जबरी कांठली, घोर बादळा मांय।
बरसा जा रै बादळी,मेहुड़ो मरू भांय॥
पल भर रो पावणों, दैखै मुरधर देस।
मेह बरस रै मोकळो,हेज राखो हमेस॥
जीव जिनावर जोवता, मिनख मानस मेह।
बरसो बादल बावळा, सुखो सरवर सेह॥
बरसती आव बादळी, मुरधर री मेमांण।
किसान करतो कोड रै, खेत करों खलियाण॥
हळ लैवै नै हाळिया, खड़न खेत रै खास।
बोवै मूंगा बाजरी, अन्न देव री आस॥
झर मर झर मर मे जरे, पिव बैठा परदेस।
बादळ लाजै बातड़ी, साजन रो संदेस॥
जोड़ो ऄडो़ जोवजो, ओपै (ज्यू) भू असमाण।
मिलणो होवै मेह सूं, बोलु कांई बखाण॥
सूणों लागै सासरो, साजन रै बिन सात।
मूळकै किकर मावड़ी, बरस्या न बरसात॥
मुरधर मीठी मोकळी, पल पल करै पुकार।
बरस मुरधर म बादळी, भूं री कर भरमार॥
बादल केवै बातडी, सूण मेहुडा बात।
मुरधर मांय मोकळो, बरसो थू दिन रात॥
भादव हिवडै भावतौ, मोकळो वरै मेह।
आई काठळ आज तौ, देख हरीयो देह॥