आ बात नीं है कै
बगत उण दिनां नीं बदळतौ हौ रिंकी
पण बदळाव फगत इत्तौ ई हौ
कै छह चवाळीस रौ झालौ
सीयाळै मांय सात बारा पर आवतौ हौ
अर उन्याळै मांय पूठी
छव चवाळीस हंकती ही
थारै घर साम्हीं सूं कोलेज री मोटर
आज उणी मोड़ ऊभौ उडीकूं रिंकी
वां ई अट्ठाइस मिनटां बिचाळै
मोटरां तौ आज ई घणी नीसरै रिंकी
पण नीसरै हरेक ई
म्हारै कंवळै हीयै नै चींथती-चिगदती
बगत इण भांत कीकर बदळग्यौ रिंकी!