बध-बध मत ना बोल बेलिया, बोल्यां साच उघड़ जासी
मरती करती जकी बणी है, पाछी बात बिगड़ जासी
तू गौरो है इणमें गैला, नहीं किणी रो कीं नो'रो
पण दूजां रै रोग पीळियो, साबित करणो कद सो'रो
थनैं घड़ी अर बाड़ बड़ी, बस इतरो काम विधाता रो
इण गत मत अहंकार आणजे, ओ मारग घर जातां रो
जाण भलां मत जाण जगत में, बडाबडी रा डेरूं है
रंग-रंग री रणचंड्यां अर भांत भांत रा भेंरू है
भेद खुलतां भ्रम भाजैलो, उण दिन जीभ अकड़ जासी
मरती करती जकी बणी है, पाछी बात बिगड़ जासी।
भाग भरोसे भैंस बगत पर, पेल पाडिया ले आवै
गुड़ भोळावै कदै आंगळी, दांत तळै नीं आ जावै
प्रेम मांय पतियारो पाळो, पल-पल पहरेदारी के?
भाई मार भाभी रो नखरो, भांगण में भलियारी के?
हाथां पग बाढणियां हरदम, छेवट में पछतावैला
रोय-रोय जो हुया रवाना, खबर मौत री लावैला
हाथां पूंछ पकड़ पछताजे, घोड़ी बिल में बड़ जासी
मरती करती जकी बणी है, पाछी बात बिगड़ जासी।
खाय गबागब बाड़ खेत नैं, ऊभो अड़वो किम डोलै?
न्यायाधीश बणायो बांदर, पछै बिलायां के बोलै?
खरपतवार निदाण धान नैं, काटै आं रो के करल्यां?
घणमूंघी इज्जत रा टक्का, बांटै वां रो के करल्या?
आंख फोड़कर पीड़ मेटली, मेटण में मजदारी के?
मन माया सूं नहीं हट्यो तो, फेर फकीरी धारी के?
घर में घात करी तो सुणलै, नेकी सफा निवड़ जासी
मरती करती जकी बणी है, पाछी बात बिगड़ जासी।