गरज गरज हिवड़ा नै फाड़ै

भूखा बाळक की ज्यूं धाड़ै

पण मुळकै कोन्यां बादळी

घर रा पांखी परदेश गया

चहुं दिस नैण उडीक रह्या

म्हारो जोबन सूख्यो जाय

पण मुळकै कोन्या बादळी

गाळां री लाली तावड़ो चाटै

उळझ-उळझ मारग में लूगड़ी फाटै

इन्तजार करतां बावळी होगी

पण मुळकै कोन्या बादळी

रूखां की ज्यूं गोरी रो—

सिणगार सूखग्यो

हिया रा उजास नै काळ चूसग्यो

नेह रो समन्दर डूबतो ही जाय

पण मुळकै कोन्या बादळी

अजै पणघट पै पायल री

झणकार ना उठै

आंगण में रूप रो दीयो ना जळै

चांदणी रात बैरी तन नै जळांवती

पण मुळकै कोन्या बादळी।

स्रोत
  • पोथी : बदळाव ,
  • सिरजक : महेन्द्र यादव ,
  • संपादक : सूर्यशंकर पारीक ,
  • प्रकाशक : सूर्य प्रकाश मन्दिर, बीकानेर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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