बादळी आज बरसती जा

खेतां री माटी रौ कण कण

थांसूं करै पुकार

बरस बादळी म्हांनै कर दै

माटी सूं रतनार

सोना रौ संसार बणा

थूं आज सरसती जा

बादळी आज बरसती जा

गरज गरज नै अरे बावळी

क्यूं छाती नै फाड़ै

गरजै वा नीं बरसै इणनै

ऊभौ करसौ ताड़ै

गरज तरज नै छोड़ बादळी

आज मुळकती जा

बादळी आज बरसती जा

सूख्या सरवर रूंख,

जानवर भूखा तिरखा पड़िया

लू-लपटां री झोर झपट में

कितरा टाबर गुड़िया

जीवण री थूं जोत जळा दे

आज हुळसती जा

बादळी आज बरसती जा।

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : पुखराज मुणोत ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन
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