भाई-बंधु

रिश्तेदार

अठै तक कै

अणजाण आदमी

ढूंढै हो हादसै रो कारण

पण आंगण रै कराड़ै

सांसा ठम्योड़ो जीव बांथां में लियां

कोई कुरळावै ही,

बा स्यात मां ही।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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