सड़क री भांत
बिछता लोगां!
समझौ
औ जमारौ
यूं अकारथ गमावण सारू नीं है!
मत लटकौ
बादलां री भांत
फालतू !
जमीं माथै पग रोपौ
छडावौ दबियोड़ी भोम अर
तुड़ावौ भासा रौ मूंन!
ओखद जे अंग नी लागतौ व्है
तौ इण सिडियोडै घाव नै
कुचरौ औरू कुचरौ
के इणरी जड़ माथै
वार करियौ जा सकै!
जमीं अर भासा जे मुगत व्हेगी।
तौ औ तारां छायौ आभौ
मत ई आपारौ व्हैला -
समझौ इण बगत रौ
मांयलौ मिजाज
ग्रौ जमारौ
यूं अकारथ गमावण सारू नीं है।