थं कैर

म्हैं सांगरी

देख!

इण अथाग-अदीठ

रेतीलै पसार

आंधी-अरड़ै बिचाळे

तपतौ तावडौ

लूआं रा लपरका

तौ पण

उजडै नी

हरी व्है छै

आपांरी प्रीत!

स्रोत
  • पोथी : ज्यूं सैणी तितली ,
  • सिरजक : किरण राजपुरोहित नितिला ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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