थं कैर
म्हैं सांगरी
देख!
इण अथाग-अदीठ
रेतीलै पसार
आंधी-अरड़ै बिचाळे
तपतौ तावडौ
लूआं रा लपरका
तौ ई पण
उजडै नी
हरी व्है छै
आपांरी प्रीत!