लाखां बरसां रै
लाम्बै समय री
लाम्बी तांत पर पिनीज’र
समै रे जूनै नूवैं चरखै कतीज’र
कूकड़ी अटैरणै चढ़ी
अर डोरो बणी।
स्याणा। सुआंखा
कूकड़ियां नै सुळझाणरी चेष्टा में
उळझाता चल्या गया।
कूकड़िया, इस्या उळझ्या कै
सिरो छूट ग्यो
खीचड़ी इसी पकी कै
गिठला पड़ग्या
इकाई रो सिरो रूस ग्यो
आज ठौड़-ठौड़ सिर उठायोड़ा
सिरा ही सिरा है
आं अरबां सिरां पर
आपैरी अपणास बिसरीजगी
समै रो गोट
भींट कै ज्यूं आडो आवै
बींरै लारै ल्हुकीजतो इतिहास
पण-इतिहास रो थ्यावस
भूगोलरो सींवां तोड़
आगै आणो चावै
बीं नै कुण रोकै।
आव-आव-म्हारै कानी आव
आपां गळै-गळ बांखड़ी घाल’र
एका कार हो जावां
भांत दुभांत। जात-पांत
पंथ-कुपंथरो भेद बिसार’र
मिनख रो मान बढ़ावां।
हां, हां।
थे म्हारा हो
मैं थारो हूँ
जाण पिछाण घणी जूनी घणी पुराणी
बो देख बो पैलड़ो मिनख
लाखां बरसां स्यूं
सूरज रै साथै ऊगतो आंथतो
जीवन री घूमती चरखी पर
मंजै ज्यूं लपटीजतो ओ मिनख
थारै-म्हारै कीं लागतो होवैला।
इणरो रगत आज ताईं
आपणी नाड़यां में रमतो फिरै।
घिरणा अर भय रा भतूळिया
चक्कर इस्यो चलायो कै
थै म्हांस्यूं म्हे थास्यूं
अळगा अळगा दोसां
बा पैलड़ी जोड़ी
बै लोग लुगाई
समै री चाकी में दळीजता पिसीजता
लूंठै हाथां चूरमै ज्यूं चुरीजता
जलमता, मरता
पीढ़ी आगली पीढ़ी ऊं
जुड़तां आज
म्है-थै थै-म्है हो ग्या।
तीन अरब साठ किरोड़
सत्तर लाख चौरासी हजार
च्यार सो बीस री लाम्बी कतार
अर इण कतार रै परलै पार
सिरे पर ऊभा लोग दीसैं कोनी
घणैं घणैं बरसां स्यूं
बरसती जमती धूळ
धूळ री जमती पड़तां में
दबीजतो आपै रो अपणास
धुंधळातो जावै।
आव सिरै रै ईं किनारे स्यूं
सिरे रै बीं किनारे ताईं चालां
बोलां बतळावां
मन माथो काम में ल्यावां
अरबां रो आंकड़ो छोड’र
किरोड़ां री पंगत में आवां
किरोड़ां स्यूं लाखां में
लाखां स्यूं हजारां में
हजारां स्यूं सैंकड़ां में
सेंकड़ा स्यूं धाई में
घाई स्यूं इकाई में
इणी भान्त
इकाई रे सिरे पर खड़या हो’र
देखण स्यूं
म्हारो थारो
थारो म्हारो
भेद आपै ही बिसरीज जासी।
समै री दूरी तोड़ां
नूंवो इतिहास रचां
भूगोल री सीवां बिसरावां
बिना नांव रां नांव
बिना सींव रा गांव
नैडै चालां
आं नावां रै
आं गांवां रै
जठै सांचरो सिरो होसी।