मांदळ पड़ी मात मरु टसकै, टूटी खटिया मांय पिरोळ।
मात परायी अठै आंगणै बीच घालरी है घमरोळ।
अबै आपणै मुंह सूं निसरै, डेडी-मम्मी रा क्यूं बोल?
मां अर बापू रै सबदां रो, बता! कूंतसी कुण-के मोल?
बिकराळीजै भाव मिनख रा, पिच्छम री संस्क्रति रै पाण।
जाण अंगेजै लोग अठै रा, आ के मन में पड़ी कुबाण?
रगड़ीजै-चींथीजै हिन्दी, अंग्रेजी बैठी कंधोळ।
मांदळ पड़ी मात मरु टसकै, टूटी खटिया मांय पिरोळ।
चेतो अबैं! अवस थे चेतो!! गळका-जुरड़ा सगळा रुंध।
निज भाषा संस्क्रति रै बळ सूं, रैय ऊजळो मायड़ दूध।
रणकारै सूं सिसकै बिलखै, आठ क्रोड़ बेटां री माय।
बिण आवाज उठायां आपै, कियां बैठ्सी बता उपाय?
हिरदै री औकात बिसार्यां, कुण भरसी भाषा री खोळ?
मांदळ पड़ी मात मरु टसकै, टूटी खटिया मांय पिरोळ।
हाड़ौती-मेवाड़ी-बागड़, मेवाती री लेय’र ओट।
मरु मायड़ रो सैंगठ तोड़ै, ओ बां रै हिरदै रो खोट।
कंवळै ऊभी तकै आसका, ढळकै है नैणां सूं नीर।
न्ह्याणै घर परदेशी भाषा, लेय सबड़का खावै खीर।
ओग घाल सिर में अंग्रेजी, सोक्यां मांय करै पंचोळ।
मांदळ पड़ी मात मरु टसकै, टूटी खटिया मांय पिरोळ।
वीर-बांकुड़ा संत-साधवी, जती-सती री जाग्रत भोम।
ओज-तणै उणियारै पळकै, मरुधर माथै सुरजी-सोम।
आओ! मन में सोच-विचारां, किण विध बधै मात रो मान?
शंखनाद रै विजै घोष सूं, लोग करै आपै सम्मान।
जग जीवन रै सोन पालणै, सत भावां नै लेय टंटोळ।
मांदळ पड़ी मात मरु टसकै, टूटी खटिया मांय पिरोळ।