मा कदै कदै खिज्योड़ी सी लागै

फेर बा अंधेरो च्यांणो कोनीं देखै

झाळ झाळ में

दिनूंगै सूं सिंझ्यां ताणीं

कामां नैं सळटावै

टाबरां कै कनैंई कोनीं आवै

नीं तो बां कै आस-पासै डोलै

अर बरोबर में पूछ्यां बी क्यूं'ई नीं बोलै

मा की अणकथ चुप्पी

नीं उळझै,नीं सुळझै

टाबर सगळो जोर लगा धापै

भींतां रा मोखां मांय सूं झाकैं

पण मानीं मुळकै

अर नीं बांनै निरखै

फेर टाबरिया बी बोला बाल्यां

एक कानी भींत कै सिट'र ऊबा होज्यांय

मा नैं बस देख्यां जांय

फेर तावळी सी, बावळी सी

हुयोड़ी मा सैक्यूं भूल'र

बांनैं झालो देय'र बुलावै

अर झट गळा सूं लगावै।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 7 ,
  • सिरजक : मोनिका शर्मा
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