उजाळौ

म्हारी उम्मीदां रौ बसेरौ उजाळै

कागला पूरै लाव-लस्कर समेत

इत्ती धांधळी मचाई

के सगळौ आभौ काळौ व्हेग्यौ!

थूं इत्तौ लायक कोनी

के अंधारै रौ सोग मना सकै

माईतां रौ आदेस

अंधारै ने औरू गैरौ करग्यौ

मरवण म्हारी बाट जोवती रैयी

अर अेको-अेक तिणकलौ उजाळे रौ

लोग चुग-चुग नै लेयग्या...

वौ ढोलौ वा मरवण

पण म्हैं तौ खुद सूं हारग्यौ

पसेवै सूं रोटी पैदा करण रै डौळ में

अबै तो अंधारौ घणौ लखावै कोनी

पण जद-जद

म्हारै सपनां री आंख्यां फड़की है

अंधारै री कोर ऊजळी व्ही है।

स्रोत
  • सिरजक : चंद्रशेखर अरोड़ा
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