अेक कहाणी
मांय
इसी रचियोड़ी बसियोड़ी है वा
क कहाणी री सगळी लैणा मांय
उणरी छियां जांके
अेक कविता मांय
गायब है वा
सगळी लाइना उणरे सारुं की नी कैवे
पण कविता पढ़नियां नै सुणनणियां
उणनै ई देखे
अर आप आप रै सोच रै रंग सूं
कोरे उणरो ईं उनियारो...
जी रो जंजाल छै
कोरो एक मन रो पंडाल छै
जिणरी छींयां
हालता जावां जद ताईं
मारग सगळे चिंसा हालती रैवे
अर रुकियां रिसे पीप
ऐड़ो ओ पम्पाल
बिसाई खावण री नी मळे घडी नी कोई ठोड़
ऐड़ै म्हे थारी ओळूं
चिलको कर
फेरु मिळावे म्हने
म्हारै उणियारै सूं....