बणी रा पखेरू जाणै

गांव है चंदर नै पतौ कै

टिक-टिक करतां आयगी

अेक और सदी।

मझ-सावण

मरु-तिरसौ

गीगलौ धोरां बैठ्यौ

आभौ ताकै।

निबळा घरां रात अंधारी

पेट कै गांठ

अधनागौ आजतांई

धरती पोढ़ै आकास ओढै।

लूण तेल लकड़ी री जुगत करतौ

गांव नीं जाणै

नुंवी सदी रा जसन में

पांच सितारा होटल रौ छकणौ।

सत्ता रा विदेसी गळियारा'क

पच्छिम री ढाळ

कामयाब व्हैली

अठै या नुंवी सदी।

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : हरदान हर्ष ,
  • प्रकाशक : अपरंच प्रकासण
जुड़्योड़ा विसै