रोज हांजै
रेत ना ढगला
उपर बई नै
घर बणावुं ,
अैने एक टक जुई
ने राजी थाऊं
विचार मे डुबी जाऊं
पण
एक घड़ी वार मएं
वायरा नै कोरमण मएं
मारी स आँख अगाड़ी
टूटी जाय/ढगलो थई जाय
मारै मन नै
अेक अहसास आली ज़ाय।