आज मानखौ

मानखां ने'ई खावै है

फेर भी ने रत्तीभर

सरम नीं आवै है

आंख्यां री लाज मिटगी

संवेदणा

व्यावहारिकता गिरगी

अबै थूं बता

म्हारी गौदड़ी

कियां लिखूं मैं

प्रीत रा गीत।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक (दूजो सप्तक) ,
  • सिरजक : राजेन्द्र सिंह चारण ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’ ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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