घर कदैई

बजता मिंदर

जठै बसता

देई-देवता सरीखा

भाई-बंध

पुरखां री आण

आतमा-परमातमां

घर मै'कता

भेळप री सौरम सूं

बणग्या मुसाण

जिण सूं निकळै

आण री अरथी

मतै चढ़-चढ़

जींवती ल्हासां

घर भभकै

राड़ री रस्सी सूं।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 6 ,
  • सिरजक : हनुमान प्रसाद 'बिरकाळी' ,
  • संपादक : ओम पुरोहित ‘कागद’
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