कांई कैवे?

घोटियै आज

आप रै बापू रो

गळो झाल लियो!

तो होवणी ही।

कांई कैवै?

स्है’र मांय

बम रै धमाकै साथै

तीस मरग्या!

तो होवणी ही!

कांई कैवै?

गांव री गोचर रा

सगळा रूंख

कोयी काट लेग्यो!

तो होवणी ही।

कांई कैवै?

गांव री गोचर रा

सगळा रूंख

कोयी काट लेग्यो!

तो होवणी ही।

कांई कैवै?

फरजी वोटां सूं

शांतिलालजी नै

चुणाव हराय दियो!

तो होवणी ही।

कांई कैवै?

आखै देस मांय

जात-पांत अर धरम री

खाई खुदगी!

तो होवणी ही।

सुण भाया!

संस्कार मिटग्या

सोच मरग्यो

हेत खूटग्यो जणां

तो होवणी ही।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थली ,
  • सिरजक : देवकरण जोशी ‘दीपक’ ,
  • संपादक : श्याम महर्षि
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