स्सै सूं पैली

बडो ब्रेकट खोलण चाल्यो हो

म्हूँ गणितज्ञ पण

उण रै कठोर कवच री

अभेदता सूं अणजाण

लगोतार नाकाम होंवतो रैयो

जोड़-बाक्यां मै उळूझतो

चिह्ना अर अंका रो

बोझ ढोंवतो रैयो।

इंया

अेक पछै अेक

गलत हूंवतै चरणां नै,

कणांई हल नीं हूवण वाळै

सनातन समीकरणां नै।

सूंप’र आपरो आपो

अग्यात उत्तरां री

अंध कंदरावां मांय

खो चुक्यो हूं म्हैं...

समै री सलेट माथै

निज नै मांडतो-मिटांवतो

अेक गलत गुणनखंड

हो चुक्यो हूं म्हैं।

स्रोत
  • पोथी : छप्पनियां हेला ,
  • सिरजक : जनकराज पारीक ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन
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