घणकरी बार
म्हैं सोच्या करूं
लिख्यो जावै सगळो-कीं
आ जरूरी तो नीं है।
अधूरा सबद
बिखरयोड़ा सुपना
अणकही बातां
कीं तो म्हारै कनै ई
रैवणो चाईजै!
पण अचूंभो ओ है, कै
इण नीं लिखण री बात नै ई
लिखण सूं नीं रोक सकी
म्हैं खुद नै।