टप-टप टपकीने हरमाये हुं ला,
आवे तो झरमर आव।
काळा भम्मरिया वादरा नी पाँखे,
लावै तो घोड़ापुर लाव।
तरसी आ धरती जेठ-वैशाख नी,
असाढे नके तरसाव।
मनुवारे करी मनावूं मेघराजा,
मन मेलीने वरसाव।
लीलीछम जाजम पाथर भौंय पर,
हवे तो मन हरखाव।
भूरी भैं बाकडी ने काळी है गाँभणी,
अंगासे ख़ाकला ना भाव।
आवे तू झट्ट तो उगे दरूखड़ी,
गाजवीज बाजी जमाव।
उनी-उनी रोटली ने भरमँ कारैलँ,
घेबरियो घूमरो रचाव।
टीपणु देकी ने देड़की पन्नावूं,
केम तारे मूछें है ताव???