अे सुनैणी

बैठ नेड़ी

एक प्यालो ले जहर रो

साथ पी लां।

कई कैवे?

आतमा है थूं

थनै यो जे’र रो प्यालो

असर कोनी करै?

घणी आछी बात

थोड़ी बैठ तौ जा

‘आतमा’ म्हारी

आज थां सू बात करणी है

पूछणो है पतो अमरत रो

म्हनै भी तो वो

असर कोनी करै!

स्रोत
  • पोथी : मोती-मणिया ,
  • सिरजक : भगवतीलाल व्यास ,
  • संपादक : कृष्ण बिहारी सहल ,
  • प्रकाशक : चिन्मय प्रकाशन